वर्ष 2022 का भौतिकी नोबेल पुरस्कार क्वांटम मेकेनिक्स पर केंद्रित है, इस बार यह पुरस्कार संयुक्त रूप से एलेन अस्पेक्ट (Alain Aspect), जॉन एफ. क्लाउसर (John F. Clauser) और एंटन ज़िलिंगेर (Anton Zeilinger) को दिया जा रहा है. 4 अक्टूबर, 2022 भारतीय समयानुसार दोपहर 3:20 को यह घोषणा की गई.
- एलेन एस्पेक्ट, 1947 में एजेन, फ्रांस में पैदा हुए. पेरिस-सूद विश्वविद्यालय, ओरसे, फ्रांस से 1983 में पीएचडी. यूनिवर्सिटी पेरिस-सैकले और इकोले पॉलीटेक्निक, पलाइसेउ, फ्रांस में प्रोफेसर हैं.
- जॉन एफ क्लॉसर, 1942 में पासाडेना, सीए, यूएसए में पैदा हुए. 1969 कोलंबिया विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क, यूएसए से पीएचडी. रिसर्च फिजिसिस्ट, जे. एफ. क्लॉसर एंड असोका, वॉलनट क्रीक, सीए, यूएसए.
- एंटोन ज़िलिंगर, 1945 में ऑस्ट्रिया के रीड इम इनक्रेइस में पैदा हुए. विएना विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रिया से पीएचडी 1971. ऑस्ट्रिया के विएना विश्वविद्यालय में प्रोफेसर.
2022 भौतिकी नोबेल पुरस्कार क्वांटम मेकेनिक्स के एक विचित्र गुण एन्टेंगल्ड फोटोन (आपस में गुंथे हुए फोटोन) पर किये गए प्रयोगों पर दिया गया है. इन प्रयोगों ने बेल असमानता नियम के उल्लंघन (violaation of Bell inequality) को स्थापित किया है और क्वांटम सूचना विज्ञान में क्रान्ति लाई है.
एन्टेंगल्ड अवस्था (Entangled states) : सिद्धांत से तकनीक तक
एलेन अस्पेक्ट, जॉन एफ. क्लाउसर और एंटन ज़िलिंगेर ने एन्टेंगल्ड क्वांटम अवस्था पर क्रांतिकारी प्रयोग किये हैं जिनमें दो मूलभूत कण एक जैसा व्यवहार करते हैं, भले ही वह दोनों कण एक दूसरे से अरबों किलोमीटर दूर हो. दो एन्टेंगल्ड कणों में एक में आया कोई परिवर्तन तत्क्षण दूसरे कण पर दिखाई देता है, इन दोनों कणों के मध्य की दूरी महत्त्व नहीं रखती है. इन वैज्ञानिकों द्वारा किये गए प्रयोगों के परिणामों ने क्वांटम सूचना के आधार पर नई तकनीक के लिए राह बनाई है. इस तकनीक के द्वारा शून्य समय में अरबों करोडों किमी दूरी पर तत्काल सूचना भेजी जा सकती है.
अब तक क्वांटम भौतिकी या क्वांटम यांत्रिकी प्रयोगशाला तक ही सीमित थी. यहां एक खूबसूरत लेकिन विचित्र विज्ञान है लेकिन अब इस विज्ञान का प्रवेश आम विश्व में होने जा रहा है. इससे जुडी तकनीकों को हम आम जीवन में आते देख रहे हैं. अब तकनीक की दुनिया में क्वांटम विश्व से जुड़े अनेक विषयों पर शोध हो रहे हैं, जिसमें क्वांटम कंप्यूटर, क्वांटम नेटवर्क और क्वांटम कूट रूप (एन्क्रिप्टेड) में संचार शामिल है.
इन प्रयोगों में सबसे महत्वपूर्ण है कि किस तरह से क्वांटम यांत्रिकी दो कणों को एक विचित्र अवस्था में रहने देती है. इस विचित्र अवस्था को एन्टेंगल्ड अवस्था (आपस में उलझी हुई अवस्था) कहते हैं. इन एन्टेंगल्ड कणों में किसी एक में आया कोई भी परिवर्तन तत्क्षण दूसरे कण को प्रभावित करता है, चाहे वो कण कितनी ही दूर हो.
लंबे समय तक, यह सवाल था कि क्या सहसंबंध इसलिए था क्योंकि एन्टेंगल्ड कणों में कुछ ऐसे छिपे हुए कारक होते हैं, या ऐसे छुपे निर्देश होते हैं जो उन्हें बताते हैं कि उन्हें प्रयोग में कौन-सा परिणाम देना चाहिए ? ये छुपे कारक या निर्देश उनके मध्य के व्यवहार को नियंत्रित करते हैं ? 1960 के दशक में, जॉन स्टीवर्ट बेल ने अपने नाम पर गणितीय असमानता सिद्धांत (mathematical inequality) विकसित की.
यह बताता है कि यदि छिपे हुए कारक इन्हें नियंत्रित कर रहे हैं, तो बड़ी संख्या में प्रयोगों के मापन द्वारा उत्पन्न परिणामों के बीच का संबंध कभी भी एक निश्चित मूल्य से अधिक नहीं होगा. हालांकि, क्वांटम यांत्रिकी भविष्यवाणी करता है कि एक निश्चित प्रकार का प्रयोग बेल की असमानता का उल्लंघन करेगा. इस प्रकार दोनों कणों के मध्य अन्य प्रकार के भी मजबूत सहसंबंध के कारक संभव होंगे.
जॉन क्लॉसर ने जॉन बेल के विचारों पर कार्य किया, जिससे एक व्यावहारिक प्रयोग संभव हुआ. जब उन्होंने प्रयोगों में मापन किया, तो उन्हें बेल असमानता का स्पष्ट रूप से उल्लंघन होते हुए क्वांटम यांत्रिकी का परिणाम मिला. इसका मतलब है कि क्वांटम यांत्रिकी को केवल एक सिद्धांत द्वारा प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है, अर्थात जो छिपे हुए कारकों के अतिरिक्त भी इन्हें नियंत्रित करने वाले सिद्धांत होने चाहिए.
जॉन क्लॉसर के प्रयोग के बाद कुछ खामियां रह गईं. एलान एस्पेक्ट ने अपने प्रयोग व्यवस्था को इस तरह से विकसित किया कि उसने एक गलती होने के महत्वपूर्ण मार्ग को बंद कर दिया. एक एन्टेंगल्ड कणों की जोड़ी में प्रयोग करने के बाद ऐसा कोई मार्ग नहीं बचता था कि वह परिणाम को प्रभावित नहीं कर सके.
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परिष्कृत उपकरणों और प्रयोगों की लंबी श्रृंखला का उपयोग करते हुए एंटोन ज़िलिंगर ने उलझी हुई (एन्टेंगल्ड) क्वांटम अवस्थाओं का उपयोग करना शुरू कर दिया. अन्य बातों के अलावा, उनके शोध समूह ने क्वांटम टेलीपोर्टेशन नामक एक घटना का प्रदर्शन किया है, जिससे क्वांटम अवस्था को एक कण से एक दूरी पर स्थानांतरित करना संभव हो जाता है.
भौतिकी के लिए नोबेल समिति के अध्यक्ष एंडर्स इरबैक कहते हैं –
‘यह तेजी से स्पष्ट हो गया है कि एक नई तरह की क्वांटम तकनीक उभर रही है। हम देख सकते हैं कि क्वांटम यांत्रिकी की व्याख्या के बारे में बुनियादी सवालों से परे भी, उलझी हुई क्वांटम अवस्थाओं के साथ पुरस्कार विजेताओं का काम बहुत महत्वपूर्ण है.’
क्वाटंम इनटैंगलमेंट (Quantum Entanglement) के सिद्धांत पर सबसे पहले न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण बल की खोज के समय ही ध्यान दिया था. लेकिन उसके बाद अलबर्ट आइंस्टीन ने इस पर काम किया और अपना नया सिद्धांत दिया. इसमें उन्होंने बताया कि क्वांटम स्तर पर मौजूद दो या उससे अधिक और एक दूसरे पर निर्भर कणों का बनना, उनका किसी भी प्रक्रिया के लिए एक साथ सहभागी होना ही क्वांटम इनटैंगलमेंट है. लेकिन दोनों को एक-दूसरे का पता नहीं होता. दोनों के बारे में स्वतंत्र रूप से नहीं बताया जा सकता. इसे उलझाव इसलिए कहते हैं क्योंकि कणों की गति, स्थिति, घुमाव और ध्रुवीकरण जैसे भौतिक गुणों की माप एक-दूसरे से संबंधित होती है.
क्वांटम इनटैंगलमेंट बेहद नाजुक स्थिति है. जैसे ही इनके बीच से फोटॉन यानी रोशनी निकलती है, ये खो जाते हैं. इनका उपयोग करने के लिए जरूरी है कि हम यह जान लें कि फोटॉन की जोड़ी का इनटैंगलमेंट होता है या नहीं. इससे यह फायदा होगा कि भविष्य में ऊर्जा और स्टोरेज संबंधी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है. वह भी आणविक स्तर पर जाकर.
असल में क्वांटम इनटैंगलमेंट होता है ?
हम यह जानते हैं कि किसी भी वस्तु को सिर्फ भौतिक रूप से देखकर, पकड़कर उसके आकार या आयतन को नाप सकते हैं लेकिन ये सही नहीं है. क्वांटम इनटैंगलमेंट को लेकर नील्स बोर और आइंस्टीन में विवाद चल रहा था. नील्स बोर कहते थे कि ऐसी कोई चीज होती ही नहीं है क्योंकि क्वांटम इतने सूक्ष्म हैं कि उनके लेवल पर किसी भी कण की सटीक जगह और स्विंग जैसे गुणों को बिना देखे नाप नहीं सकते.
बात सही भी थी कि बिना देखे किसी वस्तु का आयतन कैसे बता सकते हैं लेकिन आइंस्टीन ने कहा नहीं. उन्होंने कहा कि अगर किसी वस्तु को देख नहीं सकते, इसका मतलब ये नहीं कि वो वास्तविक रूप में है ही नहीं. बाद में आइंस्टीन ने बोरिस पोडोल्सकी और नाथन रोसेन के साथ मिलकर क्वांटम इनटैंगलमेंट से जुड़े अपने सिद्धांत को सिद्ध कर दिया.
क्वाटंम इनटैंगलमेंट (Quantum Entanglement) में अक्सर एक शब्द सुनाई देता है, जिसे स्पूकी एक्शन (Spooky Action) कहते हैं. आइंस्टीन, पोडोलस्की और रोसेन ने अपने सिद्धांत को सिद्ध किया, लेकिन नील्स बोर ने कहा कि समान भौतिक गुणों वाले दो अलग-अलग कण इस अंतरिक्ष में मौजूद हो ही नहीं सकते. भले ही वह प्रयोग के दौरान एक क्षण के लिए अपने गुणों को एक-दूसरे में बदलने या ट्रांसफर करने में सक्षम क्यों न हो. दरअसल, दोनों समान कणों के बीच किसी भी तरह का संबंध बिना सटीक माध्यम के संभव नहीं है. यह थोड़ा भूतिया यानी स्पूकी होता है इसलिए इसे स्पूकी एक्शन कहते हैं.
क्वाटंम इनटैंगलमेंट का फायदा क्या है ?
- क्वाटंम इनटैंगलमेंट को समझना क्यों जरूरी है ? दरअसल, भविष्य में क्वांटम कंप्यूटर बनने वाले हैं. क्वांटम इनटैंगलमेंट के जरिए क्वांटम कंप्यूटर के एन-कोडिंग करने की यूनिट्स यानी क्यूबिट्स को आसानी से प्रोसेस किया जा सकता है.
- भविष्य में क्वांटम इनटैंगलमेंट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि हम बहुत बड़े डेटा को बेहद छोटी सी जगह में रख सकते हैं. यानी हम 100 जीबी की फाइल को 1 जीबी वाले मेमोरी कार्ड में कंप्रेस करके रख सकते हैं. संचार आसान होगा. ट्रैवलिंग आसान होगी.
- क्वाटंम इनटैंगलमेंट (Quantum Entanglement) के चलते अणुओं और परमाणुओं की संरचना में काफी ज्यादा डेनसिटी होती है. यह साधारण स्थिति नहीं होती है. इससे किसी वस्तु का मौलिक आकार नहीं बिगड़ता मगर, कम जगह पर भी होकर उसका अस्तित्व बना रहता है.
क्वाटंम इनटैंगलमेंट इतनी जटिल प्रक्रिया है, जिसे समझाना आसान नहीं है. लेकिन वैज्ञानिकों को लगता है कि भविष्य में इसकी मदद से बड़े-बड़े, सुपर-डुपर फास्ट क्वांटम कंप्यूटर बनाए जा सकते हैं. क्वांटम संचार हो सकता है. वह भी अंतरिक्ष में एक ग्रह से दूसरे ग्रह तक बिना किसी बाधा के ऊर्जा बढ़ाई जा सकती है. अंतरिक्ष से ऊर्जा ली और लाई जा सकती है. साथ ही 100 जीबी के डेटा कंप्रेस करके एक जीबी के मेमोरी कार्ड में रख सकते हैं.
क्वाटंम इनटैंगलमेंट का सबसे बड़ा फायदा भविष्य में जो होगा, वो है टेलिपोर्टेशन (Teleportation). यानी किसी व्यक्ति को किसी एक जगह से दूसरी जगह अणुओं में बदलकर तेजी से पहुंचाना. फिर वहां उसे वापस उसी स्वरूप में खड़ा कर देना. यानी एक सेकेंड में दिल्ली से न्यूयॉर्क आप बिना किसी ट्रेन, प्लेन, जेट, बस के पहुंच जाएंगे.
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