दक्षिण अफ्रीका (South Africa) में गुफाओं से मिले इंसानों के कई प्राचीन अवशेषों के सही समय का पता चला है. इन अवशेषों के बारे में पहले जो अनुमान लगाए गए थे, ये उनसे काफी पुराने हो सकते हैं. ये अवशेष करीब 40 लाख साल पुराने हैं. पहले इन्हें 32 लाख साल पुराना बताया गया था.
जोहान्सबर्ग (Johannesburg) के नजदीक स्टेर्कफोंटिन लाइमस्टोन केव सिस्टम (Sterkfontein limestone cave system) से पिछली शताब्दी में, होमिनिन जीनस ऑस्ट्रेलोपिथेकस (Australopithecus) की बहुत सी प्राचीन हड्डियां मिली हैं. इस जगह को क्रेडल ऑफ ह्यूमनकाइंड (Cradle of Humankind) भी कहा गया है. मानव विकास (Human evolution) के अध्ययन के लिए यह जगह बेहद अहम है.
अब, नई डेटिंग तकनीकों से पता चलता है कि ये अवशेष करीब 40 लाख साल पुराने हैं. ये प्रसिद्ध ऑस्ट्रेलोपिथेकस एफरेंसिस (Australopithecus afarensis), दिन्किनेश (Dinkinesh) से भी पुराने हैं, जिसे लुसी कहा जाता है.
पीएनएएस (PNAS) में प्रकाशित हुए शोध के मुताबिक, पर्ड्यू यूनिवर्सिटी (Purdue University) के भूविज्ञानी और भू-भौतिकीविद् डैरिल ग्रेंजर (Darryl Granger) का कहना है कि दुनिया में इतने ऑस्ट्रेलोपिथेकस जीवाश्म और कहीं नहीं हैं, जितने स्टर्कफ़ोन्टेन में हैं लेकिन वे किस समय के हैं, ये कहना मुश्किल है.
इनके पास पाए गए जानवरों के जीवाश्म और फ्लोस्टोन जैसे गुफा के फीचर से अलग-अलग समय का पता चला. हमारे डेटा से ये संशय दूर होता है. डेटा से पता चलता है कि ये जीवाश्म काफी पुराने हैं, जितना हमने पहले सोचा था, उससे कहीं ज्यादा पुराने.
प्राचीन अवशेषों के समय का पता लगाना आसान नहीं है, खासकर गुफाओं में. दिन्किनेश जहां पाई गई, उस सेडिमेंट में ज्वालामुखी की राख की रेडियोमेट्रिक डेटिंग के आधार पर दिन्किनेश को 32 लाख साल पहले का बताया गया था लेकिन गुफाएं और भी ज्यादा प्राचीन हैं, क्योंकि वहां ज्वालामुखी की राख नहीं गिरती.
Sterkfontein System का अनुमान गुफा में पाए जाने वाले कैल्साइट फ्लोस्टोन की उम्र के हिसाब से लगाया गया था. यह लगभग 22 से 25 लाख साल पहले बना था. शोधकर्ताओं ने फ्लोस्टोन या आस-पास पाई गई हड्डियों की जांच करने के बजाय, उस चट्टान की जांच की जिसमें आस्ट्रेलोपिथेकस के अवशेष थे. उन्होंने खासकर क्वार्ट्ज में दो दुर्लभ आइसोटोप्स के रेडियोएक्टिव डिके (Radioactive decay) की जांच की- एल्यूमीनियम 26 और बेरिलियम 10.
डैरिल ग्रेंजर का कहना है कि ये रेडियोएक्टिव आइसोटोप्स जिन्हें कॉस्मोजेनिक न्यूक्लाइड (Cosmogenic nuclides) कहा जाता है, जमीन की सतह के पास हाई एनर्जी कॉस्मिक रे रिएक्शन से बनते हैं. साथ ही, इनके रेडियोएक्टिव डिके से उस समय का पता लगता है जब चट्टानें जीवाश्मों के साथ गुफा में दफन हुई थी.
इन आइसोटोप्स से शोधकर्ताओं को पता लगा कि ऑस्ट्रेलोपिथेकस वाले सेडिमेंट सभी 34 से 37 लाख साल पहले के हैं. इसका मतलब है कि वहां से मिले अवशेष आस्ट्रेलोपिथेकस युग की शुरुआत के आसपास के हैं, न कि इसके अंत के, जैसा कि पहले सोचा गया था.
पहले सुझाई गई तारीखों के आधार पर, दक्षिण अफ़्रीकी ऑस्ट्रेलोपिथेकस प्रजातियां इतनी युवा थीं कि ये पूर्वज नहीं हो सकती थीं. इसलिए इसकी संभावना ज्यादा थी कि होमो और पैरेंथ्रोपस पूर्वी अफ्रीका में विकसित हुए थे.
‘Cradle of Humankind’ Fossils May Be a Million Years Older Than Previously Thought https://t.co/U1EEdsTj4g
— ScienceAlert (@ScienceAlert) June 27, 2022
लिटिल फुट की डेटिंग के हिसाब से नए नतीजे बताते हैं कि होमो और पैरेंथ्रोपस जो Cradle of Humankind में भी पाए गए थे, वे 4 व्यक्तियों के रहने के करीब दस लाख साल बाद उभरे, जिसका मतलब यह हुआ कि घटनाओं का क्रम और जहां वे हुईं उन्हें संशोधित किया जा सकता है.
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