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एल्युमिनियम बर्तन छुड़वा दिए और एल्युमिनियम फॉयल पकड़ा दी, गज़ब…!

एल्युमिनियम बर्तन छुड़वा दिए और एल्युमिनियम फॉयल पकड़ा दी, गज़ब...!
एल्युमिनियम बर्तन छुड़वा दिए और एल्युमिनियम फॉयल पकड़ा दी, गज़ब…!

आदि मानव को जब भूख ने सताया तो उसने दूसरे जानवरों का शिकार करके अपना पेट भरा. पेड़ों से फल-फूल तोड़कर अपनी भूख मिटाई. घास के बीजों का भक्षण किया और अपनी क्षुधा शांत की. मगर, घासों के बीज तो हर समय उपलब्ध नहीं थे तो उसने बीजों का संग्रह शुरू किया. फिर…!

फिर समस्या आई उनके संग्रहण की, उनके भंडारण की. तो पत्थर के भांडों का आविष्कार हुआ. फिर मिट्टी के बर्तन बनाये गए. ताम्र युग आया तो मिट्टी के साथ-साथ तांबे के भांडे बनाए गए और लौह युग आया तो तांबे के बर्तनों के साथ-साथ लोहे के बर्तन भी आ गए.

फिर मानव बुद्धिमान होता गया और नई-नई धातुएं खोजता चला गया और उनसे बनाता गया सुंदर-सुंदर बर्तन. गरीबों के हाथ में दिखाई दिए सस्ती धातुओं के बर्तन और अमीरों ने प्रयोग में लाये महंगी धातुओं के बर्तन.

फिर आया एल्युमिनियम. SST बोले तो सुंदर, सस्ता और टिकाऊ. आते ही धूम मचा दी. वजन में हल्का. ऊष्मा का बेहतरीन सुचालक और इसने आते ही किचन में अपना स्थान सुनिश्चित कर लिया. फिर आया आधुनिक मानव.

आधुनिक मानव ने लोहे में कार्बन, निकिल और क्रोमियम मिलाकर बनाया स्टील. मगर किचन में पैर पसारे बैठे एल्युमिनियम के बर्तनों को वहां से निकाले कैसे !

कुछ तो करना पड़ेगा. तो करो. एल्युमिनियम के बर्तनों की बुराई करो. मानव को डराओ. उसे जान का खतरा बताओ. एल्युमिनियम के बर्तनों की इतनी बुराई करो कि आधुनिक मानव डर कर एल्युमिनियम के बर्तन प्रयोग करना कम कर दे. कम क्या कर दे, बन्द ही कर दे.

और यह चाल सफल रही. मानव डर गया. चिकने चुपड़े स्टील की बातों में आ गया. उसे लगा कि बस स्टील के बर्तन में ना खाया तो सब बेकार ! एल्युमिनियम की बुराई में क्या कहा गया ?

कहा गया कि एल्युमिनियम के बर्तनों में खाना पकाने से खाने के अंदर एल्युमिनियम का अंश आ जाता है, जो खाने के साथ डाईजेस्टिव सिस्टम से होता हुआ ब्रेन में पहुंच जाता है और ब्रेन का फंक्शन बाधित कर देता है. डिमेंशिया नामक बीमारी हो जाती है. खूब प्रचार किया गया इसी तरह का. लोग भी खूब डरे. डर का खूब व्यापार हुआ.

फिर इस विषय पर विस्तृत खोज हुई और वैज्ञानिकों ने यह पाया कि एल्युमिनियम के बर्तनों में खाना पकाने के फलस्वरूप एक दिन में मात्र 10 मिलीग्राम एल्युमिनियम हमारे शरीर में जाता है जबकि वैज्ञानिक शोध यह बताते हैं कि एक दिन में 100 मिलीग्राम तक भी मानव शरीर में जाये तो कोई समस्या नहीं. तो आधुनिक मानव द्वारा एल्युमिनियम के बर्तनों में खाना पकाने के परिणामस्वरूप एल्युमिनियम का अंतर्ग्रहण उसकी परमिशिबिल लिमिट का मात्र 10 प्रतिशत था.

अब बात करते हैं स्टील की, जिसे बनाया गया था लोहे में कार्बन, निकिल और क्रोमियम डालकर. जिसे बताया गया था सबसे सेफ. ये निकिल और क्रोमियम दोनों तत्व ही टॉक्सिक हैं. जैसे एल्युमिनियम के बर्तनों में खाना पकाने से शरीर में एल्युमिनियम चला जाता था उसी तरह स्टील के बर्तनों में खाना पकाने से क्रोमियम अंदर जाता है.

कितना क्रोमियम अंदर जाता है ? स्टील के बर्तनों में खाना पकाने से एक दिन में 45 माइक्रोग्राम तक क्रोमियम अंदर जाता है. क्रोमियम की सेफ लिमिट क्या है ? क्रोमियम की सेफ लिमिट है 200 माइक्रोग्राम तक. इसका अर्थ यह हुआ कि एल्युमिनियम सेफ लिमिट का 10 प्रतिशत अंदर जाता था तो क्रोमियम सेफ लिमिट का 25 प्रतिशत अंदर जाता है.

एल्युमिनियम का अंतर्ग्रहण भी सेफ लिमिट में ही था और क्रोमियम का भी सेफ लिमिट में ही है तो फिर हंगामा है क्यों बरपा ?

अल्जाइमर एसोसिएशन ने एल्युमिनियम पर काफी एक्सपेरिमेंट कराए मगर कोई भी यह साबित ना कर सका कि एल्युमिनियम के बर्तनों में पके खाने को खाने से अल्जाइमर या डिमेंशिया जैसी बीमारियों का कोई खतरा है.

वह बात अलग है कि मिट्टी के भांडों में पके खाने का स्वाद अलग ही होता है. तो झूठ मुठ की बीमारी से डर कर नहीं बल्कि स्वादिष्ट खाना खाने के लिए लौट आइये मिट्टी के बर्तनों की ओर.

और हां, बचपन में अम्मा ने हॉकिन्स के प्रेशर कुकर में खाना पकाकर खिलाया जो एल्युमिनियम का था. वर्ष 1998 से मेरे बच्चों की अम्मा यूनाइटिड प्रेशर कुकर में खाना पकाकर खिला रही है. ये भी एल्युमिनियम का ही है, मुझे तो अब तक डिमेंशिया ना हुआ !

एक बात और बता देता हूं. ये चाय है ना, इसकी पत्तियों में एल्युमिनियम खूब होता है. बच के रहियो. और चाय पीने के बाद हुई एसिडिटी को ठीक करने के लिए ये जो एंटासिड खाते हो ना, इसमें भी एल्युमिनियम होता है भारी मात्रा में. और वो जो परफ्यूम लगाते हो ना उसमें भी एल्युमिनियम होता है. सोचिए जनाब क्या क्या छोड़ोगे ?

और एल्युमिनियम फॉयल के बारे में क्या ख्याल है जनाब ! बर्तन छुड़वा दिए और फॉयल पकड़ा दी. गज़ब…!

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