हबल स्पेस टेलीस्कोप (Hubble Space Telescope) की मदद से वैज्ञानिकों ने वृहस्पति ग्रह के आकार के ऐसा बाह्यग्रह (Exoplanet) खोजा है जो अपने निर्माण की ही अवस्था में हैं. उसकी अपने तारे के बाहर की डिस्क के बीचों बीच की मौजूदगी के कारण वैज्ञानिक उसे ‘गर्भ के अंदर’ का गुरु ग्रह (Jupiter in Womb) कह रहे हैं. इसके अध्ययन से वैज्ञानिकों को उम्मीद की गुरु जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण प्रक्रिया समझने में मदद मिलेगी.
सौरमंडल में ग्रह निर्माण की कोई एक प्रक्रिया (Process of Formation of Planets) नहीं है. ग्रह कई तरह से विकसित होते हैं. पृथ्वी के बारे में माना जाता है कि यह सौरमंडल में मौजूद धूल गैस और अन्य पदार्थ के सिमटते हुए एक ग्रह में बदली थी जिसमें अरबों साल का समय लगा था. लेकिन हमारे ही सौरमंडल के गुरु (Formation of Jupiter) और शनि ग्रह ही इस तरह से नहीं बने थे और वे कैसे बने थे यह एक रहस्य ही है. लेकिन हाल ही में हबल टेलीस्कोप (Hubble Space Telescope) से ली गई एक तस्वीर इस रहस्य को सुलझा सकती है.
हबल स्पेस टेलीस्कोप के जरिए ली गई तस्वीर में वैज्ञानिकों एक विशाल ग्रह का पता चला है जिसे वे ‘अभी गर्भ में ही है’ वाला ग्रह कह रहे हैं. हमारे गुरू ग्रह नौ गुना भारी यह ग्रह अपने निर्माण प्रक्रिया की शुरुआती अवस्था में ही है. हबल ने इस ग्रह के केंद्र में इसके निर्माण की तीव्र और प्रचंड प्रक्रिया पर प्रकाश डालने का काम किया है.
यह ग्रह अपने युवा तारे का पास विकसित हो रहा है जो खुद करीब 20 लाख वर्ष पुराना ही है. यह ग्रह अभी अपना आकार ले रहा है. इस प्रक्रिया को तश्तरी अस्थिरता कहता है जिसके तहत तारे चारों ओर एक विशालकाय डिस्क ठंडी हती है और गुरुत्व की वजह से वह तेजी से एक या दो ग्रह के भार वाले टुकड़ों में टूट जाती है.
AB Aurigae b नाम का यह गुरु जैसा ग्रह अपने तारे से 8.6 अरब मील की दूरी पर चक्कर लगा रहा है. यह दूरी सूर्य और प्लूटो के बीच की दूरी के दो गुना है. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह दूरी बहुत ज्यादा है और इसमें वृहस्पति जैसे ग्रह के लिए क्रोड़ एक्रीशन बनाना बहुत ही मुश्किल होता है. इससे शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि तश्तरी अस्थिरता की वजह से यह ग्रह इतनी दूरी पर बना होगा.
ग्रह निर्माण की प्रक्रिया से गुजरने वाले पिंड को प्रोटोप्लैनेट कहते हैं. आमतौर पर ऐसी स्थिति एक तारे के पास एक ही पिंड की होती है. लेकिन ग्रह का निर्माण की प्रक्रियाएं या तरीके अलग अलग हो सकते हैं. अच्छी बात यह है कि यह डिस्क इस तरह से झुकी है कि पृथ्वी से इसे अच्छे से देखा जा सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्हें इस ग्रह की साफ तस्वीर के लिए हबल जैसे टेलीस्कोप की जरूरत थी.
वैज्ञानिकों ने इस ग्रह की खोज हबल टेलीस्कोप के अवलोकनों के साथ ही निष्क्रिय हवाई ज्वालामुखी की चोटी के पास स्थित सुबारू टेलीस्कोप का उपयोग कर की थी. वैज्ञिनिकों ने पाया कि यह ग्रह एक विस्तारित होती गैस और धूल की डिस्क के अंदर है जिसके पदार्थ से यह बन रहा है. यह ग्रह पृथ्वी से 508 प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित है.
इस निर्माणाधीन ग्रह के अध्ययन से पता चला है कि गैस का एक विशाल पुंज अपने मेजबान युवा तारे के चारों ओर परिक्रमा कर रहा है. गैस का यह विशाल गोला एक ग्रह है, जो अभी निर्माण के प्रक्रिया में है. हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति और शनि भी गैस के ही विशाल गोले हैं. इनमें ज्यादातर हाइड्रोजन और हीलियम गैस मौजूद होती हैं, जो एक ठोस कोर के चारों ओर घूमती रहती हैं.
सुबारू टेलीस्कोप और नासा-एम्स रिसर्च सेंटर के एस्ट्रोफिजिसिस्ट थायने करी ने कहा कि हमें लगता है कि यह अभी भी अपने जन्म की प्रक्रिया में है. उन्होंने प्रसिद्ध साइंस मैगजीन नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित अध्ययन में कहा कि सबूत बताते हैं कि गैस का यह विशाल गोला अपने गठन के प्रारंभिक चरण में है. यह गैस और धूल की एक विशालकाल डिस्क में समाया हुआ है, जो ग्रहों को बनाने वाली सामग्री से भरी हुई है.
उन्होंने कहा कि यह गैसीय ग्रह AB ऑरिगे नाम के एक तारे की परिक्रमा कर रहा है. यह तारा हमारे धरती से 508 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है. प्रकाश वर्ष दूरी मापने की सबसे बड़ी ईकाई है. बताते चलें कि एक प्रकाश वर्ष में लगभग 95 खरब किलोमीटर होता है. हमारे सौर मंडल के बाहर लगभग 5,000 ग्रहों की पहचान की गई है.
लगभग सभी ज्ञात ग्रह अपने सितारों के चारों ओर उस दूरी के भीतर परिक्रमा करते हैं जो हमारे सूर्य और उसके सबसे दूर के ग्रह नेपच्यून को अलग करती है लेकिन यह ग्रह सूर्य से नेपच्यून की दूरी से तीन गुना और सूर्य से पृथ्वी की दूरी का 93 गुना दूर चक्कर लगाता है.
यह ग्रह जिस तारे की परिक्रमा कर रहा है वह हमारे सूर्य से लगभग 2.4 गुना अधिक विशाल और लगभग 60 गुना अधिक चमकीला है. यह लगभग 20 लाख साल पुराना तारा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि सूर्य भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में एक डिस्क से घिरा हुआ था, इसी से हमारी पृथ्वी समेत दूसरे ग्रहों का जन्म हुआ था.
ग्रह के निर्माण में गुरुत्वाकर्षण की महती भूमिका होती है, क्योंकि तातरों के निर्माण के दौरान बचे अवशेष ही अंत में गुरुत्व के जरिए एक जगह जमा हो कर ग्रह का निर्माण करते हैं. वैज्ञानिकों को पूरा विश्वास है कि गुरु ग्रह के जैसे ग्रहों के निर्माण की शुरुआती दिनों को समझने से खगोलविदों को हमारे सौरमंडल के वृहस्पति के निर्माण के इतिहास की जानकारी मिल सकेगी.