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Stonehenge बनाने वालों का रहस्यमयी जीवन के राज खोले उनके मल

Stonehenge बनाने वालों का रहस्यमयी जीवन के राज खोले उनके मल

स्टोनहेंज (Stonehenge) के पास के एक गांव से वैज्ञानिकों को प्रागैतिहासिक मल के जीवाश्म मिले हैं, जिससे स्टोनहेंज बनाने वाले लोगों के पालतू जानवरों और उनके खान-पान का पता चलता है.

स्टोनहेंज (Stonehenge) इंग्लैंड के विल्टशायर (Wiltshire) में एक प्रागैतिहासिक स्मारक है. वैज्ञानिक हमेशा से ही इस जगह के बारे में ज़्यादा से ज्यादा जानने की कोशिश करते आए हैं. हाल ही में स्टोनहेंज के पास के एक बस्ती से वैज्ञानिकों को प्रागैतिहासिक मल के जीवाश्म मिले हैं, जिससे स्टोनहेंज बनाने वाले लोगों के पालतू जानवरों और उनके खान-पान का पता चलता है.

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (University of Cambridge) के पुरातत्वविदों ने हाल ही में 19 कोप्रोलाइट्स (Coprolites) का पता लगाया है. कोप्रोलाइट्स यानी प्राचीन मल के जीवाश्म. ये कोप्रोलाइट्स उन्हें ड्यूरिंगटन वॉल्स (Durrington Walls) में एक बस्ती से मिले हैं जो स्टोनहेंज से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर है. ये बस्ती 2500 ईसा पूर्व में बसी हुई थी.

ये वही दौर है जब पत्थर से बने इस स्मारक का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा बनाया गया था. स्टोनहेंज 3000 ईसा पूर्व और 1500 ईसा पूर्व के बीच कई चरणों में बनाया गया. साइट से दूरी और तारीख को देखते हुए, यह माना जा रहा है कि ड्यूरिंगटन वॉल्स वह जगह है जहां स्टोनहेंज को बनाने वाले कुछ लोग रहा करते थे.

पैरासिटोलॉजी (Parasitology) जर्नल के मुताबिक, मल के इन 19 प्राचीन नमूनों में से एक नमूना इंसान का और चार कुत्तों के हैं, जिसमें से परजीवी अंडे (Parasite Eggs) पाए गए हैं. मानव मल सहित 4 नमूनों में कैपिलारिड परजीवी कृमि (Capillariid Parasite Worm) के अंडे दिखाई देते हैं. ये शायद संक्रमित जानवर के कच्चे या अधपके मांस को खाने के बाद लोगों की आंतों में पहुंच गए. इंसानों के बचे खाने को बाद में शायद कुत्तों ने खाया होगा.

मल के 19 प्राचीन नमूनों में से एक नमूना इंसान का और चार कुत्तों के हैं (Photo: Unsplash)

शोध के मुख्य लेखक डॉ पियर्स मिशेल (Dr Piers Mitchell) का कहना है कि यह पहली बार है जब नियोलिथिक ब्रिटेन से आंतों के परजीवी मिले हैं. और इन्हें स्टोनहेंज में ढूंढना वास्तव में बड़ी बात है. कुत्ते के मल से फिश टैपवार्म के अंडे भी मिले हैं. यह बहुत अनोखी बात थी, क्योंकि इससे पहले इस जगह पर मछली खाने से जुड़े कोई सबूत नहीं मिले थे. लेकिन यह साफ है कि कुत्ते ने कच्ची मछली खाई होगी और संक्रमित हुआ होगा.

मल से मिले परजीवी के अंडे

डॉ. पियर्स का कहना है कि कैपिलारिड कीड़े मवेशियों और जुगाली करने वाले जानवरों को संक्रमित कर सकते हैं. ऐसा लगता है कि गायें परजीवी अंडों की सबसे संभावित स्रोत हो सकती हैं. सह-लेखक एविलेना अनास्तासियो (Evilena Anastasiou) का कहना है कि मानव और कुत्ते दोनों के मल से कैपिलारिड कीड़ों के अंडों का मिलना इस तरफ इशारा करता है कि लोग संक्रमित जानवरों के आंतरिक अंगों को खाते थे और बचा हुआ खाना कुत्तों को खिलाते थे.

हो सकता है कि ड्यूरिंगटन वॉल्स स्टोनहेंज बनाने वाले लोगों के लिए स्थाई घर न रहे हों. वे शायद सर्दियों के समय वहां जाते होंगो, वहां दावतें करते होंगे और स्मार्क को बनाते होंगे. साइट पर की गई खुदाई में वैज्ञानिकों को मिट्टी के बर्तन और पत्थर के औजारों समेत, 38,000 से ज्यादा जानवरों की हड्डियां मिली हैं, जिनमें 90 प्रतिशत सूअरों की हैं और करीब 10 प्रतिशत गायों की थीं. लोगों की तरह, जानवरों को भी वहां दूर से लाया गया था.

जिन्होंने 2005 और 2007 के बीच ड्यूरिंगटन दीवारों की खुदाई करने वाले, यूसीएल के पुरातत्व संस्थान के प्रोफेसर माइक पार्कर पियर्सन का कहना है कि इन सबूतों से उन लोगों के बारे में पता चलता है जो स्टोनहेंज के निर्माण के दौरान सर्दियों की दावतों के लिए यहां आए थे. मिट्टी के बर्तनों में पोर्क और बीफ को भुनते या उबालते थे, लेकिन मांस को बहुत अच्छी तरह से पकाया नहीं जाता था.

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