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‘पृथ्वी की चार नहीं पांच परतें हैं’ – ऑस्ट्रेलियाई खोजकर्ता

'पृथ्वी की चार नहीं पांच परतें हैं' - ऑस्ट्रेलियाई खोजकर्ता
‘पृथ्वी की चार नहीं पांच परतें हैं’ – ऑस्ट्रेलियाई खोजकर्ता

ऑस्ट्रेलिया के खोजकर्ताओं का दावा है कि पृथ्वी की चार नहीं पांच परतें हैं. और ये पांचवीं परत धातु की ठोस गेंदनुमा है. उन्होंने इसका पता लगाने के लिए भूकंप के झटकों से पैदा होने वाली सिस्मिक तरंगों का इस्तेमाल किया है. उन्होंने सिस्मिक तरंगों की रफ्तार के जरिए पांचवीं परत का पता लगाने की बात कही है. खोजकर्ताओं ने इसके लिए पिछले एक दशक में आए 200 भूकंप के झटकों के डाटा को जमा किया था. खोजकर्ताओं के मुताबिक, पांचवीं परत धातु की बनी है.

अभी तक लोगों को पृथ्वी की चार परतों के बारे में पता था. ये चार परतें क्रस्ट, मैंटल, आउटर कोर और इनर कोर हैं. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के खोजकर्ताओं ने पृथ्वी की पांचवीं परत खोज निकालने का दावा किया है. खोजकर्ताओं ने इसके लिए पृथ्वी के भूगर्भ से गुजरने वाली सिस्मिक तरंगों की रफ्तार को आधार बनाया है. इसके लिए उन्होंने पिछले एक दशक में 6 या उससे ज्यादा की तीव्रता वाले 200 से ज्यादा भूकंपों का डाटा जमा किया.

कैसी है पांचवीं परत ?

खोजकर्ताओं की रिपोर्ट के मुताबिक पांचवीं परत धातु की गेंद जैसी है, जो भूगर्भ के बिल्कुल बीचों बीच है. या यूं कहें पृथ्वी के अंदरूनी हिस्से में है .उन्होंने रिसर्च के नतीजे नेचर कम्युनिकेशन के जनरल में पब्लिश किए है. जिसमें उन्होंने बताया है कि पृथ्वी की संरचना और इसके विकास को समझने के लिए पृथ्वी के भूगर्भ कितना जरूरी है. ANU के रिसर्च स्कूल ऑफ अर्थ साइंस के डॉ. थान-सोन फाम ने बताया कि –

‘पृथ्वी के भीतरी गर्भ में धातु की गेंद की मौजूदगी की कल्पना करीब 20 साल पहले ही कर ली गई थी. हमने अब इस कल्पना के सबूत पेश किए हैं.’

ये तरंगें पृथ्वी के एक छोर में पैदा होकर पृथ्वी के बीचों बीच से होते हुए दूसरे छोर से निकलती है. लहरें फिर से भूकंप के स्रोत की ओर लौट जाती हैं. इसके लिए टीम ने अलास्का में पैदा हुए भूकंप की तरंगों का आंकलन किया. अलास्का वापस जाने से पहले सिस्मिक तरंगें दक्षिण अटलांटिक महासागर से कहीं निकली थी.

खोजकर्ताओं ने पता लगाया है कि लोहे और निकल की अनिसोट्रॉपी पृथ्वी के भूगर्भ के जैसी है. बता दें कि अनिसोट्राफी का इस्तेमाल पृथ्वी के भूगर्भ में सिस्मिक तरंगों की रफ्तार का पता लगाने के लिए किया जाता है. ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि वो किस दिशा में जा रही हैंं. इसी से उन्हें पता चला कि बाउंस करती हुई सिस्मिक तरंगे अलग-अलग ऐंगल्स से बार बार पृथ्वी के बीच के हिस्से में ही आ रहीं थी.

इसके बाद खोजकर्ताओं ने अलग-अलग भूकंपों की सिस्मिक तरंगों के ट्रैवल टाइम की जांच की. जिससे उन्हें पता चला कि पृथ्वी के भू-गर्भ के अंदरूनी हिस्से में क्रिस्टलनुमा कुछ है, जो बाहरी परतों से काफी अलग है. खोजकर्ताओं ने इससे अंदाजा लगाया कि पृथ्वी के निर्माण के दौरान कई बड़ी घटनाएं हुई होंगी, जिससे कोर के अंदरूनी हिस्से की क्रिस्टल संरचना में इतना महत्वपूर्ण बदलाव हुआ.

इस खोज के फायदे ?

इसके खोजकर्ता फाम (Phạm) और कैलरिच (Tkalčić) ने कहा कि इस खोज से वैज्ञानिकों को 450 करोड़ सालों में हुए धरती के विकास को समझने में काफी मदद मिलेगी. उनका मानना है कि इसकी वजह से धरती पर जीवन को पनपने में काफी मदद मिली थी. उन्होंने ये भी बताया कि धरती के बाहरी और अंदरूनी गर्भ दोनों मिलकर एक चुंबकीय क्षेत्र बनाते हैं, जिसकी मदद से पृथ्वी खतरनाक रेडिएशन से बची रहती है. उन्होंने कहा कि इन प्रक्रियाओं को समझने और पृथ्वी की गहराई से जांच के लिए और उन्हें और ज्यादा अच्छे उपकरणों की जरूरत होगी.

उन्होंने आगे कहा, ‘रिसर्च में बताए गए निष्कर्ष पहली बार भारी मात्रा में तेजी से बढ़ती डिजिटल वेवफॉर्म डाटा का नतीजा हैं. हम उम्मीद करते हैं कि पृथ्वी की गहराई में प्रकाश डालने वाली जांच के लिए मौजूदा सिस्मिक रिकॉर्ड काफी मदद करेंगे.’ उन्होंने आगे बताया कि अब उनके पास IMIC (Innermost Inner Core) के बारे में अलग अलग क्षेत्रों से ठीक-ठाक सिस्मिक प्रमाण हैं. और उनके आगे के प्रयास IMIC-OIC (Outer inner core) के परिवर्तन की विशेषता पर आधारित होंगे.

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